जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तीसरे दिन भी लगातार हंगामा जारी; Article 370 पर छिड़ा संग्राम

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तीसरे दिन भी लगातार हंगामा जारी है। विशेष दर्जे के प्रस्ताव पर एक बार फिर से संग्राम छिड़ा। विधानसभा में हालात बद से बदत्तर हो गए।

कई विधायक छक्का-मुक्की और मारपीट पर उतर आए। जिसके कारण स्पीकर को 12 विपक्षी विधायकों और लंगेट विधायक शेख खुर्शीद को बाहर निकालना पड़ा। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई भाजपा विधायकों ने ‘पाकिस्तानी एजेंडा नहीं चलेगा’ जैसे नारे लगाए।

भाजपा विधायक सदन के वेल में भी कूद पड़े, जिसके बाद स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने निर्देश दिया कि उन्हें मार्शलों द्वारा बाहर निकाला जाए। उन्हें बाहर निकाले जाने के तुरंत बाद 11 अन्य भाजपा विधायकों ने विरोध में सदन से वॉकआउट कर दिया।

वहीं, बीजेपी नेता सुनील शर्मा ने नारा दिया जो कश्मीर हमारा है वह सारे का सारा है जहां बलिदान हुए मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है। स्पीकर ने कहा कि नारेबाजी कर रहे भाजपा विधायकों की ना कोई बातचीत रिकॉर्ड की जाए ना उसको कहीं रिपोर्ट किया जाए।

 

सुनील शर्मा ने कहा कि हमारा मानना ​​है कि ये सभी कार्रवाई गैरकानूनी, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक थी स्पीकर ने खुद इसका मसौदा तैयार किया है। हम चाहते हैं कि अनुच्छेद 370 एक इतिहास है – इस पर अब बहस नहीं की जा सकती… हम एक बहस चाहते थे, जिस तरह से हमारे विधायकों के साथ मार्शलों ने मारपीट की। स्पीकर ने आज भी ऐसा किया, हम अब समानांतर विधानसभा चलाने के लिए यहां धरने पर बैठेंगे जो स्पीकर के खिलाफ है।

विशेष दर्जे के प्रस्ताव पर हो रहा हंगामा

पिछले दो दिनों से सदन में हंगामा हो रहा है, क्योंकि भाजपा विधायकों ने नेकां के विशेष राज्य के दर्जे वाले प्रस्ताव पारित होने के बाद जोरदार विरोध किया।

उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने मंगलवार को प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि यह विधानसभा विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी के महत्व की पुष्टि करती है, जिसने जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा की है, और उन्हें एकतरफा तरीके से हटाए जाने पर चिंता व्यक्त करती है।

 

प्रस्ताव में और क्या कहा गया

प्रस्ताव में कहा गया कि विधानसभा केंद्र से जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी की बहाली के लिए क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू करने और इसके लिए संवैधानिक तंत्र तैयार करने का आह्वान करती है। इसमें कहा गया है कि यह विधानसभा इस बात पर जोर देती है कि बहाली की किसी भी प्रक्रिया में राष्ट्रीय एकता और जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं दोनों की रक्षा होनी चाहिए।

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