उत्तरकाशी में भूस्खलन से बनी कृत्रिम झीलें बनीं चुनौती, IIT रुड़की ने किया अध्ययन – Prayas Uttarakhand

उत्तरकाशी: पिछले महीने उत्तरकाशी जिले में भारी बारिश के कारण गदेरों से मलबा आने से दो स्थानों पर नदियों में कृत्रिम झीलें बन गईं। पहली घटना हर्षिल में भागीरथी नदी पर और दूसरी स्यानाचट्टी में यमुना नदी पर दर्ज की गई। इन झीलों से पानी की सुरक्षित निकासी कराना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था।

IIT रुड़की ने किया विस्तृत अध्ययन

आईआईटी रुड़की के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की वैज्ञानिकों शिवानी जोशी और श्रीकृष्णन शिव सुब्रमण्यम ने उत्तराखंड में भूस्खलन बांधों (Landslide Dams) पर गहन अध्ययन किया है। इस शोध का शीर्षक था: “उत्तराखंड भूस्खलन बांध अध्ययन: अतीत, वर्तमान और भविष्य”
यह अध्ययन स्प्रिंगर जर्नल में जनवरी 2025 में प्रकाशित हुआ।

1857 से 2018 तक की घटनाओं का विश्लेषण

अध्ययन में वर्ष 1857 से 2018 के बीच उत्तराखंड में भूस्खलनों के कारण बनी झीलों का उल्लेख है। इसमें बताया गया है:

  • किस नदी पर भूस्खलन बांध बना

  • इसके पीछे क्या कारण रहा (जैसे बारिश, भूकंप आदि)

  • बांध कितनी अवधि तक बना रहा

  • संबंधित जिले और स्थान की जानकारी

अगस्त में सबसे ज्यादा घटनाएं

रिसर्च में यह खास बात सामने आई कि भूस्खलन बांध बनने की घटनाएं अगस्त महीने में सबसे अधिक हुई हैं। इस समय क्षेत्र में भारी वर्षा और भूस्खलन की संभावना सबसे ज्यादा होती है।

किन नदियों पर बने सबसे अधिक भूस्खलन बांध

शोध के अनुसार, उत्तराखंड की जिन नदियों पर सबसे ज्यादा भूस्खलन बांध बने, वे हैं:

  • अलकनंदा नदी

  • मंदाकिनी नदी

  • भागीरथी और यमुना पर भी कई घटनाएं दर्ज की गई हैं।

सबसे प्रभावित जिले

भूस्खलन बांध बनने की घटनाएं मुख्य रूप से तीन जिलों में पाई गईं:

प्राकृतिक कारणों का किया गया विश्लेषण

अध्ययन में यह भी बताया गया कि ऐसे भूस्खलन बांध बनने के पीछे प्रमुख प्राकृतिक कारण क्या हैं:

अत्यधिक वर्षा

भूकंप

टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी ढलानों पर अत्यधिक कटाव

मानवीय गतिविधियों जैसे निर्माण कार्य और जंगलों की कटाई

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